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इनकाउंटर पर फिर ओछी सियासत

NAV VICHAR
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भोपाल जेल से भागे आठ सिमी आतंकवादियों के इनकाउंटर के बाद एक बार फिर देश में सियासत का दौर शुरू हो गया है . वास्तव में ये अपने देश का दुर्भाग्य है कि देश की अस्मिता पर आंच आने पर भी यहाँ के तथाकथित नेता अपनी राजनीती चमकाने में ही लगे रहते है . सभी को पता है की ये आठों आतंकवादी कितने खूँखार थे और ये कोई दूध के धुले नहीं थे . इन पर पहले से ही कितने गंभीर आरोप थे . ये आतंकवादी थे और इनके इरादे खतरनाक थे क्या , इनकाउंटर के लिए इतना काफी नहीं होता . फिर भी उनके खैर ख्वाह ओबैसी , दिग्विजय सिंह जैसे नेता अपनी ओछी राजनीती करने पर आमादा है. उन्हें इस केस में शहीद हुए सिपाही राम शंकर यादव की शहादत का कोई ख्याल नहीं है , न ही इस शहीद के परिवार पर आयी मुसीबत की कोई कल्पना है . उनकी बेटी की दिसंबर में होने वाली शादी कैसे होगी , इसका जवाब किसी के पास नहीं है . इन नेताओं ने तो मीडिया में इस शहीद का नाम तक नहीं लिया . दरअसल भारतीय सेना द्वारा सर्जीकल स्ट्राइक के बाद से ही देश के कुछ नेताओं के अमर्यादित और निकृष्ट बोलों से पूरा देश विचलित हो गया है . देश की जनता के सब्र का इम्तेहान लेने जैसी स्तिथि इन बड़बोले नेताओं ने बना डाली है . सर्जीकल स्ट्राइक पर सेना के जवानों का हौसला बढ़ाने के बजाय ये वोट की राजनीती करने में लगे है. इन्हें पकिस्तान द्वारा देश की सीमाओ पर रोज की जा रही फायरिंग और गोलों की बरसात से मरने वाले जवानों और आम लोगो की कोई फ़िक्र नहीं है. सर्जिकल स्ट्राइक के बाद जिस प्रकार से कांग्रेस के संजय निरुपम और राहुल गाँधी जैसे नेताओं ने देश के सैनिकों का अपमान किया था , उसके जख्म अभी भी भरे नहीं है .आम आदमी के अधिकारों के लिए लड़ने के नाम पर बनी पार्टी के मुखिया ने भी सबूत मांग डाले . क्या इन नेताओं ने कभी इन घटनाओ में शहीद हुए सैनिको के परिवार का हालचाल जानने की कोशिश की, उनके घर गए या उन्हें कभी कोई सहायता पहुचाई . इस देश का दुर्भाग्य है की उनके शहीद होने पर हम एक बार तो उन्हें सम्मान दे देते है पर फिर कभी पलट कर ये जानने की कोशिश नहीं करते कि उनके बच्चों और माता पिता का क्या हाल है , उनके घर में रोजी रोटी का कोई साधन है कि नहीं . आरक्षण के लिए आंदोलन करने वाले नेता और पार्टियां क्या उन शहीदों के लिए आरक्षण की कभी मांग करेंगे . क्या उन्हें विशेष नागरिक मान कर हर जगह सुविधा देने की पहल नहीं की जानी चाहिए . लेकिन हमारे नेता तो बस वहां जाते है जहाँ उन्हें अपना वोट बैंक दिखाई देता है . ऐसे समय में जबकि पूरे देश को एक सुर में देश के जवानों के हौसले और सरकार के फैसलों को स्वागत करना चाहिए , ये नेता राजनीती की रोटियां सेकने में लगे है . क्या उन्होंने उन शहीदों के परिवारों की रोजी रोटी की चिंता कभी दिखाई , क्या इस बात के लिए सरकार पर दबाव बनाया कि शहीदों के परिवारों को स्थापित करने के लिए वो क्या कर रही है या उनके लिए कोई बयान दिया , नहीं दिया क्योंकि इससे उन्हें या उनकी पार्टी को कुछ ज्यादा लाभ नहीं मिलेगा . ऐसा लगता है कि विपक्षी पार्टियों को अपनी जमीन दरकती और खिसकती महसूस हो रही है और सत्तारूढ़ पार्टी इसका लाभ न उठा ले , इसका भय उन्हें सताने लगा है और इसी दबाव में वे देश कि मान मर्यादा को ताक पर रख कर अनर्गल बयानबाजी कर रहे है . उन्हें पाकिस्तान द्वारा रोज किये जा रहे बमबारी से मरने वाले सैनिको और जनता का कोई ख्याल नहीं है . इन नेताओं के ऐसी भाषाओँ के इस्तेमाल से निश्चित ही विश्व के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश की छवि को नुकसान हो रहा है . हमारे देश की संस्कृति और परंपरा में इन बातों की कोई जगह नहीं है . इन नेताओं को पकिस्तान की बौखलाहट क्या नहीं दिखाई दे रही . भारत की सीमाओं पर लगभग रोज ही हो रहे आतंकी हमलो की गूंज क्या उनके कानो तक नहीं पहुच रही . पाकिस्तानी सेना द्वारा बार बार , लगातार सीज फायर का उल्लंघन कर गोला बारी की आवांजे उनके कानो तक नहीं पहुँच रही , क्या वे अपने स्वार्थ की राजनीती में इतने बहरे हो चुके है .
आज आवश्यकता इस बात की है कि सरकार और देश की करोड़ों जनता को एक जुट होकर देश के शहीदों के परिवारों को पुनर्स्थापित करने का प्रयास करना चाहिए ताकि देश शहीदों के प्रति अपनी सच्ची श्रधांजलि अर्पित कर सके .

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