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इस समय देश में त्योहारों का समय चल रहा है . रक्षा बंधन से शरू होकर छठ तक त्यौहार ही त्यौहार हैं . ऐसे समय में मिठाइयों और अन्य खाद्य पदार्थों की बिक्री में आश्चर्यजनक वृद्धि होती है . जिसका अधिकाधिक लाभ मिलावटखोर व्यापारी उठाना चाहते है . पिछले कुछ वर्षों में अपने देश में खाद्य पदार्थों में मिलावट की घटनाएं लगातार ही बढ़ती जा रही है। ऐसा शायद इस वजह से भी है इसकी रोक थाम के लिए जिम्मेदार सरकारी विभाग अपने कर्तव्यों निर्वहन ठीक ढंग से नहीं कर रहे है। यद्यपि पिछले कुछ महीनो में देश के विभिन्न हिस्सों में मिलावट करने वालों पर शिकंजा कसा है। उत्तर प्रदेश में नकली तेल बनाने का कारखाना पकड़ा गया है। ज़हरीली सब्जियां, मिलावटी दूध की तरह ही तेल का यह खेल भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा था। लेकिन ऐसा करने वाले मास्टरमाइंड आज भी पकड़ से दूर है। मिलावटी तेल बनाने के लिए आम तौर से चावल की भूसी का इस्तेमाल किया जाता है इसे ब्रान ऑयल कहा जाता है। यह रंगहीन तेल होता है और खाने के लिए उपयोग में नहीं लाया जाता है। नकली तेल के कारोबारी इस तेल को सरसों के तेल में बदलने के लिए एक खतरनाक किस्म के रसायन का प्रयोग करते हैं।
मिलावटखोर ऐसे तेल के 12 हजार लीटर में लगभग एक लीटर रसायन मिलाते है , इसमें खुशबू भी मिलाया जाता है जिससे ये बिलकुल सरसों के तेल जैसा हो जाता है। इस प्रकार 35 रूपये लीटर में तैयार होने वाला यह तेल 65 से 70 रूपये तक में बेचा जाता है। कानपुर में भी में ऐसे तेल का खेल व्यापक स्तर पर चल रहा है। इसमें गुजरात और राजस्थान के व्यापारी भी सम्मिलित है। दुःख की बात है की ऐसा लगातार चल रहा है और सबसे ज्यादा चिंता वाली बात ये है कि इन डिब्बों पर नामी तेल कंपनियों के लेवल लगे होते है। देखने में नकली तेल और असली तेल में बहुत ज्यादा फर्क नहीं होता है।
आजकल तमाम फलों और सब्जियों को जल्दी उपयोग योग्य बनाने के लिए विभिन्न रसायनों का प्रयोग किया जा रहा है जिससे ये फल जल्दी पक तो जाते है पर अनेक बिमारियों को जन्म दे जाते है। असमान्य रूप से पैदा किए गए करीब सभी खाद्य पदार्थों में न्यूनाधिक विषाक्त रसायन होता है। सब्जियों या फलों में पाये जाने वाले हानिकारक रसायन, पर्यावरण प्रदूषण, गलत ढंग से उत्पादन और प्रसंस्करण या अपनी ही लापरवाही के कारण हमारे शरीर में खाद्य पदार्थों के रूप में स्वाभाविक रूप से प्रवेश करते हैं। ये मिलावट करने वाले करेला, मेथी, बैंगन, कद्दू, खीरा , विभिन्न प्रकार के मसालों में भी मिलावट करते है ,जिसके हम सब अभ्यस्त हो चुके है क्योंकि इनमे मिलावट की मात्रा काफी कम होती हैं इसी कारण इनको विविध आहार के रूप में सेवन किया जाता है।बाजार में मिलने वाले आम , खरबूज , तरबूज को विभिन्न रसायनों के माध्यम से पकाया जा रहा है यदयपि कुछ मिलावटी विषाक्त रसायनों की विषाक्तता भोजन पकाने के दौरान निष्क्रिय होती है लेकिन फिर भी इनके कुछ न कुछ कुप्रभावों तो हमारे शरीर को नुकसान अवश्य पहुंचाते है । सबसे ज्यादा मिलावट आजकल दूध और दूध से बने अन्य खाद्य पदार्थों में हो रही है।
ऐसी स्थिति में सुधार के लिए जरुरी है कि एक तरफ जहाँ सरकार और उसके सम्बंधित विभाग अपने दायित्व निभाए वहीँ दूसरी तरफ हमें भी लोगों के बीच में जागरूकता लाने का प्रयास शुरू कर देना चाहिए, जबतक मिलावट के विरुद्ध एक आंदोलन नहीं छिड़ेगा तब तक मिलावट की समस्या का समूल विनाश संभव नहीं है ।
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