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भारतीय सेना द्वारा सर्जीकल स्ट्राइक के बाद पिछले चार पांच दिनों में देश के कुछ नेताओं के अमर्यादित और निकृष्ट बोलों से पूरा देश विचलित हो गया है . देश की जनता के सब्र का इम्तेहान लेने जैसी स्तिथि इन बड़बोले नेताओं ने बना डाली है . सर्जीकल स्ट्राइक पर सेना के जवानों का हौसला बढ़ाने के बजाय कांग्रेस के संजय निरुपम ने तो इस आपरेशन को ही झूठा बता दिया . आम आदमी के अधिकारों के लिए लड़ने के नाम पर बनी पार्टी के मुखिया ने भी सबूत मांग डाले और तो और कांग्रेस के उपाध्यक्ष ने प्रधानमंत्री पर सेना के जवानो के खून पर दलाली का आरोप लगा दिया . देश में अपने शासन के दौरान आकण्ठ दलाली में डूबी पार्टी के नेताओं की जुबान पर शायद ये शब्द अपनी गहरी पैठ बना चूका है तभी तो कांग्रेस के तमाम नेता अब सफाई देते घूम रहे है की इसके पीछे कांग्रेस के राजकुमार की भावना को समझिये न की उनकी भाषा पर जाइये . हैरानी की बात है, क्या देश को उन्हें ये पाठ पढ़ाने की जरुरत पड़ेगी की मुह से निकले शब्द और बन्दूक से निकली गोली अपना असर दिखाती ही है और ऐसे शब्दो से बने घाव कभी भरते नहीं . अब तो कांग्रेस को अपने राजकुमार को भाषा ज्ञान का पाठ पढ़ाने की जरुरत है . देश की एकता और संप्रभुता के विरुद्ध ऐसी भाषा जनता बर्दाश्त करेगी नहीं . क्या आपको नहीं लगता की ये नेता मानसिक दिवालियेपन का शिकार हो चुके है . ऐसे समय में जबकि पूरे देश को एक सुर में देश के जवानों के हौसले और सरकार के फैसलों को स्वागत करना चाहिए , ये नेता राजनीती की रोटियां सेकने में लगे है . इन नेताओं के बयान पाकिस्तानी मीडिया में सुर्खिया बटोर रहे है और ये नेता पकिस्तान में हीरो की तरह माने जा रहे है . वास्तव में ये नेता पकिस्तान के उस झूठ को हवा दे रहे है जो सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर शुरू से ही इस आपरेशन को झूठा साबित करने में लगा है . सबूत मांगने वाले नेता देश की सीमाओं पर जान गवाने वाले सैनिको की आत्मा को दुःख पंहुचा रहे है . क्या उन्होंने उन शहीदों के परिवारों की रोजी रोटी की चिंता कभी दिखाई , क्या इस बात के लिए सरकार पर दबाव बनाया कि शहीदों के परिवारों को स्थापित करने के लिए वो क्या कर रही है या उनके लिए कोई बयान दिया , नहीं दिया क्योंकि इससे उन्हें या उनकी पार्टी को कुछ ज्यादा लाभ नहीं मिलेगा . ऐसा लगता है कि विपक्षी पार्टियों को अपनी जमीन दरकती और खिसकती महसूस हो रही है और सत्तारूढ़ पार्टी इसका लाभ न उठा ले , इसका भय उन्हें सताने लगा है और इसी दबाव में वे देश कि मान मर्यादा को ताक पर रख कर अनर्गल बयानबाजी कर रहे है . हद तो तब हो गयी जब कांग्रेस के सीनियर माने जाने वाले नेता कपिल सिब्बल ने देश की अस्मिता का ध्यान रक्खे बगैर केवल राजनैतिक लाभ उठाने के इरादे से ये निकृष्ट बयान मीडिया को दे डाला की जैश ऐ मोहम्मद पार्टी को भाजपा ने जन्म दिया है , अरे कुछ तो शर्म आनी चाहिए ऐसी भाषा के इस्तेमाल करने पर . क्या ये नेता वोट के लिए इतना नीचे गिर जायेंगे की दुश्मनो को अपने ही देश पर आक्रमण करने का मौका दे डालेंगे. .
इन नेताओं के ऐसी भाषाओँ के इस्तेमाल से निश्चित ही विश्व के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश की छवि को नुकसान हो रहा है . हमारे देश की संस्कृति और परंपरा में इन बातों की कोई जगह नहीं है . हमारे घर , परिवार में बड़े बुजुर्ग हमेशा से ही ये सीख देते रहे है कि कम बोलो और मीठा बोलो , कभी भी ऐसी भाषा या शब्द का इस्तेमाल न करो जिससे दूसरों को ठेस पहुंचे क्योंकि तलवार का घाव उतना चोट नहीं पहुँचाता जितना हमारे मुख से निकले शब्द घाव पहुचाते है , तलवार का घाव तो भर जाता है पर शब्द बाण से बना घाव कभी नहीं भरता और ताजिंदगी याद रहता है पर लगता है कि हमारे देश के नेताओं को अपने बड़े बुजुर्गों कि इन सीखों से कुछ लेना देना नहीं है .
सर्जीकल स्ट्राइक के सबूत मांगने वाले नेताओं को पकिस्तान की बौखलाहट क्या नहीं दिखाई दे रही . भारत की सीमाओं पर लगभग रोज ही हो रहे आतंकी हमलो की गूंज क्या उनके कानो तक नहीं पहुच रही . पाकिस्तानी सेना द्वारा बार बार , लगातार सीज फायर का उल्लंघन कर गोला बारी की आवांजे उनके कानो तक नहीं पहुँच रही , क्या वे अपने स्वार्थ की राजनीती में इतने बहरे हो चुके है . पकिस्तान की राजनीती में उथल पुथल और वहां की सेना की हरकतें साफ़ साफ़ उनकी उस बेचैनी को दर्शा रही है कि सर्जिकल स्ट्राइक से वे कितने डरे हुए है . क्या ये सबूत काफी नहीं है . लेकिन शायद ये नेता मानसिक तौर पर दिवालिये हो चुके है .
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