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पिछले दिनों देश के विभिन्न हिस्सों में आयी भीषण बाढ़ से हुई तबाही और उसके पूर्व पड़े सूखे से भारी जान माल का नुक्सान हुआ है , इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में देश को भी हानि पहुंचा है . इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने देश की आम जनता विशेषकर किसानो के फायदे के लिए भी अनेक योजनाओ की शुरुआत की है . जहाँ एक तरफ सूखे सहित दैवी आपदाओ से त्रस्त किसानो के लिए कम खर्च पर बीमा योजनाओ की शुरुआत की है वही दूसरी तरफ कौशल विकास योजना भी आरम्भ की गयी है जिसके अंतर्गत जनता की कुशलता बढ़ाने के लिए उन्हें प्रशिक्षित करने की योजना है , साथ ही दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कुशल योजना है जिसके अंतर्गत गावों में रहने वाले लगभग १.७५ लाख लोगों को निशुल्क प्रशिक्षण देकर उनकी योग्यता और कुशलता को बढ़ाया जाना है . ग्राम सड़क योजना , डिजिटल इंडिया , कृषि सिंचाई योजना , देश के बच्चों को सात बिमारियों से पूरी तरह मुक्त करने हेतु “मिशन इन्द्रधनुष” के अंतर्गत टीकाकरण की योजना है . लेकिन आने वाले दिनों में ये देखना महत्वपूर्ण होगा की इन योजनाओ का क्रियान्वयन कैसे होता है और वो किस हद तक सफल होता है और इन्हे लागू करने में किन किन समस्यायों का सामना करना पड़ता है . इस बात में कोई संदेह नहीं की इन योजनाओं को लागू करने में राज्य सरकारों की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी . वैसे इन योजनाओं के माध्यम से केंद्र सरकार एक नयी भूमिका में दिख रही है क्योंकि ये नीतियां गरीबों के हितों को साधने वाली है , होनी भी चाहिए क्योंकि हमारी अर्थव्यस्था के मूल में ही गरीबी है और हर सरकार के मूल अजेंडे में गरीबी को समाप्त करना शामिल है . ये सरकार का राजधर्म और नैतिक उत्तरदायित्व भी है . यही कारण है की सरकार गरीबों के हितों के साथ साथ बाजार की व्यवस्था पर भी ध्यान देना चाहती है . बाजारों का ठीक से विकास हो जिससे रोजगार सृजन की सम्भावनाये भी बढ़ेंगी. अफ़सोस की बात है स्वतंत्रता के सात दशक बाद भी देश के करोङो लोग गरीबी में जी रहे है , देश में आज भी लगभग ४० प्रतिशत से ज्यादा बच्चे कुपोषित है . रोजगार के अवसरों की अभी भी कमी है , शायद यही मुख्य कारण है की हमारे युवा देश से पलायन कर रहे है . वैसे देखा जाये तो केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं में ये भी शामिल है की देश में रोजगार के अवसर बढ़ाये जाये ताकि कुशल और योग्य युवकों को देश में रोजगार प्रदान कर उन्हें देश के विकास में सहभागी बनाया जाए . देश में करों के उचित प्रबंधन की भी जरुरत है क्योंकि इन्ही पर देश की योजनाओं की सफलता निर्भर करती है . केंद्र सरकार ने काले धन को घोषित करने के लिए जनता को एक सुनहरा अवसर दिया है . एक महत्वपूर्ण बात जो महसूस की जा रही है वो ये की आम लोग टैक्स भरने से बचना चाहते है इसका सबसे बड़ा कारण ये ही की उन्हें उनकी बुनियादी सुविधाये नहीं प्राप्त हो रही है . राजकोषीय घाटा बढ़ता ही जा रहा है क्योंकि कहीं कहीं टैक्स का नुक्सान भी हो रहा है , इसी वजह से सरकार रक्षा , शिक्षा और बुनियादी ढांचा मजबूत करने जैसे क्षेत्रों के लिए अधिक धन मुहैया नहीं करा पा रही है . कई राज्यों में आने वाले चुनाव के मद्देनज़र केंद्र सरकार काफी चौकन्नी है . वैसे भी केंद्र सरकार से हमें यही अपेक्षा है की वो अपनी नयी भूमिका को सजगता और सफलता से अंजाम दे . सरकार को फूलप्रूफ योजनाये बनाकर , उसके लिए पर्याप्त धन की व्यवस्था करके उसकी कमान अफसरों और जनता को दे देनी चाहिए और अपने को एक निर्णायक की भूमिका में रखना चाहिए जो इन योजनाओं के क्रियान्वयन पर कड़ी निगरानी रखते हुए उसे सही दिशा में निर्देशित करे . अगर नयी सोच और नए विकास माडल के अनुसार इन योजनाओ का किर्यान्वयन हुआ तो इस बात में संदेह नहीं कि आने वाले कुछ वर्षों में हमारा देश विकासशील देशो में अग्रणी रहेगा और एक प्रकार से नेतृत्व करने वाले की भूमिका भी निभाएगा .
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