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आजकल उत्तर प्रदेश का हाल बेहाल है . अराजकता का बोलबाला लगता है . पुलिस प्रसाशन का भय तो मानो समाप्त ही हो गया है . हम कभी गंभीरता से विचार करे तो यही निष्कर्ष निकलेगा कि प्रदेश में विधान सभा चुनाव के आते ही हर बार स्तिथि कुछ ऐसी ही होती है . हाइवे पर लूटपाट और ट्रेनों में डकैती की घटनाये आये दिन हो रही है और पुलिस प्रसाशन के हाथों से सब कुछ फिसलता जा रहा है . कभी गौर किया है आपने ये लूट पाट इटावा , मैनपुरी, अलीगढ और कानपुर के बीच ही होते है . इन्ही क्षेत्रों में लगातार घटने वाली घटनाएं किसी बड़ी साजिश की ओर संकेत करती है . गौर करे तो समाजवादी पार्टी की जड़ें इन्ही क्षेत्रों में है तो निश्चित ही इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इन अपराधियों को कहीं न कहीं राजनैतिक संरक्षण प्राप्त हो रहा है . इसी माह १६ अगस्त को गोरखधाम एक्सप्रेस में लूटपाट की घटना का खुलासा हो भी नहीं पाया था की अब अवध एक्सप्रेस में इटावा के आउटर पर लूटपाट की गयी और लुटेरे बड़ी ही आसानी से अपना काम कर गए . इसके अतिरिक्त जोधपुर हावड़ा , संपर्क क्रांति , मुरी एक्सप्रेस, मुजफ्फर एक्सप्रेस में डाका पड़ना पुलिस का भय लगभग सामाप्त होने जैसी घटनाये ही है . इन्ही क्षेत्रों में हाइवे पर गाड़ियों को अक्सर लूट लिया जाता है . क्या ऐसा नहीं लगता की सत्तारूढ़ पार्टी अपने चुनावी तैयारी में ऐसी घटनाओ को सरंक्षण दे रही है . सपा नेताओं और कार्यकर्ताओं की दबंगई की घटनाये हम रोज ही देखते रहते है . समाजवाद का चोला पहने प्रदेश की सरकार में शामिल लगभग हर दूसरा मंत्री किसी न किसी आपराधिक मामले में संलिप्त है . समाजवादी पार्टी की स्थापना राम मनोहर लोहिया के जिस सिद्धांत पर हुई थी उसमे व्यक्ति की प्रतिष्ठा सर्वोपरि रक्खी गयी थी और उसे ही समाजवाद का स्रोत माना गया था . समाजवादी पार्टी के मुखिया ने अपने राजनितिक जीवन के शुरूआती वर्षों में लोहिआवाद का खूब मान सम्मान किया और उसे अपना कर ही सीढ़ी दर सीढ़ी आगे बढ़ते गए पर उम्र के साथ साथ समाजवाद के साथ उनका रिस्ता टूटता सा जा रहा है . यहाँ पार्टी के सदस्यों और मंत्रियों के अपराध की जाँच दूध का दूध और पानी का पानी करने के आदेश के साथ शुरू तो होती है पर कुछ ही दिनों में ये फाइलें गर्द के गुबार में गुम हो जाती है .इस पार्टी के कार्यकर्ताओं , सदस्यों और यहाँ तक की मंत्रियों की निरंकुशता से प्रदेश की जनता को लगभग रोज ही सामना करना पड़ता है . गाड़ी पर समाजवादी पार्टी का झंडा लगाकर लोकल नेता कहीं अपराध करते है तो कहीं कुकर्म और फिर कुछ ही दिनों में इन मामलों से बरी भी हो जाते है . वर्तमान में महिलाओं के प्रति अपराध की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है . इस पर सरकार के मंत्रियों का ये वयान हैरान करने वाला लगता है कि प्रदेश की बड़ी जनसँख्या के हिसाब से यहाँ क्राइम कम होता है . सीधे तौर पर ये अपनी विफलताओं को छिपाने का प्रयास है.. लगता है परिवारवाद से ग्रसित ये पार्टी कुछ पारिवारिक और राजनैतिक दबाव में अपनी पूरी क्षमता से कार्य करने में असमर्थ है . अब तो यही लगता है की अराजकता और असुरक्षा के इस माहौल से चुनाव के बाद ही प्रदेश की जनता को कुछ राहत मिल पायेगी .
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