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भारत सरकार ने २५ सितंबर २०१४ को एक अभियान का आरम्भ किया था जिसे “मेक इन इंडिया ” के नाम से जाना जाता है . इसके पीछे सरकार की सोच है की देश में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की वस्तुवों के उत्पादन और निर्माण के लिए हर सुविधा उपलब्ध हो जिससे विदेशी निर्माता कम्पनिया भारत में आकर निवेश करे जिससे एक तरफ तो देश के लोगों को अच्छे उत्पाद मिलेंगे वही दूसरी तरफ यहाँ के युवकों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे . इस सोच को विस्तृत करने का दायित्व भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग द्वारा निभाया जा रहा है . केंद्र सरकार ने “मेक इन इंडिया ” के विचार को एक आंदोलन और नारे के रूप में प्रचारित किया है . इसका एक उद्देश्य उद्योगों के मूलभूत ढांचे को विकसित करने के साथ साथ डिजिटल नेटवर्क के मार्केट को मजबूत बनाना भी है . इस अभियान के “संकेतक ” यानि “लोगो ” के रूप में दिखाए गए विशाल शेर को शक्ति , साहस , ज्ञान और दृढ संकल्प का प्रतीक माना गया है . इसमें दिखाए गए कई चक्र भारत के क्रमवार प्रगति और समृद्धशाली भविष्य को दर्शाता है . इस “लोगो” को भारत के अन्य राष्ट्रिय प्रतीकों से जोड़ने की कोशिश भी की गयी है .
“मेक इन इंडिया ” के इस अभियान में निर्माण क्षेत्र के विकास की दर को पच्चीस प्रतिशत से तीस प्रतिशत करने का लक्ष्य रक्खा गया है जिसके लिए विश्व की लगभग ३००० ऐसी कंपनियों का साथ लेने का प्रयास किया जा रहा है जिनके माध्यम से देश के सकल घरेलु उत्पाद को बढ़ाया जा सकेगा . इसके अंतर्गत फार्मा, ऑटोमोबाइल , रेलवे , स्वास्थ्य , मीडिया और मनोरंजन , लेदर , ट्रांसपोर्टेशन , डिफेन्स , सड़क और परिवहन , वस्त्र , इनफार्मेशन एंड टेक्नोलॉजी आदि जैसे लगभग २५ क्षेत्रो को सम्म्लित किया गया है जो देश के विकास को बल प्रदान करेंगे . लक्ष्य ये भी है की डायरेक्ट फॉरेन इन्वेस्टमेंट के माध्यम से विदेशी निवेशकों को आकर्षित करके देश में नौकरियों की संख्या बधाई जा सके जिससे देश से पलायन करने वाली युवा प्रतिभा को अपने देश के लिए उपयोग किया जा सके . सरकार ने इसी अभियान के अगले चरण के रूप में “कौशल विकास योजना ” का आगाज़ किया है . ये सरकार की एक प्रयोगात्मक और हितकारी शरुआत है जिससे देश के अकुशल और कुशल श्रमिकों को रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराये जा सके . इस योजना के अंतर्गत विभिन्न मंत्रालयों की हिस्सेदारी लेकर देश के लिए चालीस करोड़ कुशल श्रमिक तैयार करने का लक्ष्य है . “मेक इन इंडिया ” अभियान के ही अंतर्गत स्वच्छ भारत मिशन , स्मार्ट सिटी , डिजिटल इंडिया , स्टार्टअप इंडिया का आरम्भ भी किया गया . इन कार्यक्रमों के माध्यम से सरकार की कोशिश है कि देश कि जनता को जागरूक बनाया जाये . व्यवसाय को स्टार्ट करने की प्रक्रिया को सरल बनाया जाये . पिछले कुछ महीनो में सरकार ने विश्व की प्रसिद्ध कंपनियों को देश में अपना व्यवसाय आरम्भ करने के लिए आमंत्रित किया है क्योंकि अन्य देशों की अपेक्षा अपने देश में मैन पावर के साथ साथ कच्चे माल और अन्य सुविधाओं की बेहतर उपलब्धता है . विश्व के सबसे बड़े प्रजातंत्र होने के नाते अपने देश में बाजार की सबसे बेहतर सम्भावनाएं है. कम लागत में अधिक उत्पादन और अच्छे क्रेता जहाँ होते है वहां व्यवसाय अच्छा चलने की पूरी गुञ्जायस रहती है , भारत एक ऐसा ही प्लेटफॉर्म है . केंद्र सरकार की सोच और कार्यकलापों ने विश्व को ये सन्देश दिया है की देश में रोजगार के सृजन , आधारभूत सुविधाओं में सुधार, व्यवसाय आरम्भ करने में न्यूनतम अवरोध , नयी तकनीक , निवेश के लिए बेहतर वातावरण तैयार हो चूका है और देश की अर्थव्यवस्था उनके व्यवसाय और निवेश के लिए पूरी तरह अनुकूल है . निश्चित रूप से “मेक इन इंडिया ” अभियान की सफलता भारत के युवाओं , उदयमियों और आम जनता के लिए सूरज की एक नयी रौशनी के समान है जिसके आलोक में पुरे विश्व समुदाय में भारत की एक नयी और अध्भुत छवि उभर कर सामने आ रही है .
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