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आम जन से दूर होती कांग्रेस

NAV VICHAR
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इसे दुनिया के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश का दुर्भाग्य ही कहेंगे जहाँ एक पूर्ण बहुमत वाली राष्ट्रीय सरकार संख्या बल में कमजोर विपक्ष के कारण देश के विकास से जुड़े विभिन्न बिलों और योजनाओं को सदन में पास नहीं करा पा रही है . माना जाता है की मजबूत विपक्ष से देश की प्रगति को सही रह मिलती है लेकिन अपने देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस तो जैसे अपनी भूमिका से भटक गयी है . उसके रणनीत कारों के सोचने समझने की शक्ति भी जैसे कुंद हो गयी है। पांच राज्यों के चुनावों में कांग्रेस की जो हालत हुई है उससे भी ये पार्टी कुछ सबक लेते नहीं दिख रही है और छोटे और गैर जरुरी मुद्दों को लेकर अपनी फजीहत कराने में लगी है . दो वर्षों के कार्यकाल पूरे करने पर केंद्र सरकार द्वारा किये जाने वाले आयोजन में अमिताभ बच्चन के शिरकत करने पर आपत्ति उठाने और अमिताभ बच्चन के सफाई देने पर इस पार्टी को फिर मुंह की खानी पड़ी . पांच राज्यों के चुनाव में अकल्पनीय हार के बाद ऐसी उम्मीद थी की पार्टी में कुछ बदलाव आएगा , लेकिन ऐसा कुछ लग नहीं रहा . शायद कांग्रेस में मुद्दों और मुद्दों के प्रति जनता की भावना की समझ भी कम होती जा रही है . पार्टी के खिवैये के रूप में राहुल गांधी को प्रोजेक्ट किया जा रहा है लेकिन एक के बाद एक लगातार असफलता के बावजूद उन्हें ही अध्यक्ष बनाने की मुहिम चल रही है . ऐसा प्रतीत होता है की कांग्रेस के नेता अपनी प्लानिंग एयर कूल्ड कमरों में बैठकर बनाते है और उनका आम जनता के जीवन और उनकी समस्याओं से कोई लेना देना नहीं होता . वास्तव में कांग्रेस ने विपक्ष में रहते हुए दो वर्षों में केवल आम को इमली बताकर जनता को भ्रमित करने का कार्य किया है . जहाँ एक ओर सारे सर्वे और समीक्षक मोदी सरकार के दो साल को सफल बता रहे है वाही कांग्रेस ये बताने में लगी है की पिछले दो सालों में सरकार ने कुछ नहीं किया . शायद यही कारण है की देश की जनता का ऐसी पार्टियों से मोह भंग होता जा रहा है. देश के विकास से जुड़े अनेक बिल , संशोधन सदन में पारित होने के लिए लंबित रह गए , विभिन्न प्रदेशों में सूखे जैसी समस्याएं है जिन पर चर्चा की जरुरत थी , पर कांग्रेस जनहित से जुड़े ऐसे मुद्दों की बजाय संसद का बहिष्कार करके महत्वपूर्ण समय और धन दोनों की बर्बादी करती रही. संसद की कार्यवाही में बाधा डालने का कोई ठोस औचित्य न सिद्ध करके जनता की नज़र में कांग्रेस पार्टी की छवि और भी खराब की । जरा सोचिये कि यदि इसके उलट स्तिथि होती तो जनता की सहानभूति सोनिया और राहुल के साथ होती । यदि सोनिया गांधी ये कहती है की वे इंदिरा गांधी की बहु है और किसी से डरती नहीं हूं तो तो उन्हें उनकी तरह सोच तो रखनी चाहिए । इंदिरा गांधी ने किस तरह अदालत का सम्मान किया और जनता की सहानभूति अर्जित की और सत्ता में पुनः वापसी की थी । लेकिन ऐसा लगता है की कांग्रेस के शीर्ष स्तर पर आम जनजीवन से कटे लोग उसके नीति नियंता बने बैठे है जो कांग्रेस पार्टी को जनता से दूर ही लेती जा रही है ।

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