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पाकिस्तान में रह रहे हिन्दुओं के दुर्दशा की कहानी अभी कुछ टी वी चैनलों और समाचार पत्रों के माध्यम से उजागर हुई . पाकिस्तान में रह रहे हिन्दू आज भी वहां दोयम दर्जे के नागरिक माने जाते है . वहां के दैनिक हिन्दू मजदूरों को किसी दिन पैसा मिलता है किसी दिन नहीं भी मिलता है. गरीब मजदुर हिन्दू महिलाओं की मजूरी के पैसे हड़प लिए जाते है , उनकी इज्जत से भी खिलवाड़ किये जाते है . वहां अधिकांश ऐसे हिन्दू परिवार है जिनके बच्चे पीढ़ी दर पीढ़ी कभी स्कूल नहीं गए क्योंकि स्कूलों में एडमिशन के समय उन्हें जबरिया मुस्लिम धर्म अपनाने को मजबूर किया जाता है . उनके बच्चों को जबरदस्ती उर्दू और सिंधी पढाई जाती है . स्कूल जाने वाली लड़कियों को किडनैप कर मुस्लिम बना दिया जाता है . उन्हें अन्य मुस्लिम बच्चों के बराबर का अधिकार नहीं दिया जाता. कभी कभी तो उन्हें निकृष्ट बता कर दुत्कार दिया जाता है . उन्हें अपने देवी देवताओं की पूजा करने से रोका जाता है . हिन्दू त्योहारों पर छुट्टी नहीं होती . आखिर ये कैसा पाकिस्तान है . वहीँ अपने देश में पाकिस्तान से आये मुस्लिम समाज के लोगों को खुले दिल से आत्मसात किया जाता है . वोट बैंक की राजनीती के चक्कर में ही सही उनके सभी त्योहारों और जन्म दिवसों पर छुट्टी की घोषणा की जाती है क्योंकि हम धर्म निरपेक्ष है . हमारे देश में अमीर गरीब, ऊंच नीच , हिन्दू मुसलमान किसी में कोई भेद भाव नहीं होता . एक बात साफ़ है की पाकिस्तान में रह रहे हिन्दू आज भी विस्थापितों की तरह जिंदगी बसर कर रहे है क्योंकि उन्हें खुलकर काम करने , खुलकर बोलने और खुलकर रहने तक की आजादी नहीं है . इन्ही सब कारणों से पाकिस्तान में रह रहे हिन्दू भारत में आकर शरण ले रहें है . यद्यपि कुछ हिन्दू परिवारों को भारत आये कई वर्ष हो चुके पर यहाँ की सरकारों ने उनके लिए कुछ नहीं किया , न तो उन्हें यहाँ की नागरिकता प्रदान की गयी और न ही रोजगार के बेहतर सुविधाएँ ही मुहैया कराई गयी . उन्हें यहाँ की कोई पहचान या पते का प्रमाण पत्र भी निर्गत नहीं किया गया . दिल्ली , उत्तर प्रदेश , मध्य प्रदेश , मुंबई, ठाणे , राजकोट , जोधपुर , छत्तीसगढ़, रायपुर सहित तमाम शहरों में पाकिस्तान से आये हिन्दुओं की लगभग ५०० बस्तियां है जो अभी तक अपने पहचान की तलाश कर रहे है . पर वर्तमान
केंद्र सरकार ने उन्हें कई प्रकार की सहूलियतें देने का मन बना लिया है . यदि सरकार द्वारा लाये जा रहे विभिन्न प्रस्ताव को स्वीकार किया जाता है तो अब इन लोगों के लिए पैन कार्ड और आधार कार्ड बनवाना सरल हो जायेगा . इसी आधार पर वे अपने बैंक खाते भी खोल सकेंगे . अपना खुद का व्यापार भी चला सकेंगे . अब इन्हे भारत की नागरिकता प्राप्त करने के लिए दी जाने वाली फीस में भी कटौती की प्रावधान किया जा रहा है . आश्चर्य की बात है की पाकिस्तान से आये कुछ हिन्दू परिवार यहाँ दस या पंद्रह सालों से रह रहे है पर पहले की सरकारों ने उन्हें स्थापित करने के लिए कुछ नहीं किया या यूँ कहे की उन्हें इनसे कुछ मतलब ही नहीं रहा . इतना ही नहीं वे अपने को इस देश के धर्म निरपेक्षता और लोकतंत्र के ठेकेदार भी मानते रहे पर इन विस्थापितों की ओर इन पार्टियों का ध्यान ही नहीं गया . बहरहाल वर्तमान केंद्र सरकार ने इसकी पहल की है और अब इस बात की उम्मीद की जा सकती है कि धर्म और जाति से ऊपर उठकर मानवता के लिए किये जा रहे इस काम को विपक्षी पार्टियों का भी समर्थन मिलेगा और पाकिस्तान से आये हिन्दू परिवारों को आने वाले समय में बेहतर सुविधाएँ प्राप्त होंगी .
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