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पानी की त्राहि और हमारा दायित्व

NAV VICHAR
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महाराष्ट्र में एक एक बूँद पानी के लिए मचे हाहाकार ने हमारे जीवन में जल के महत्व को एक बार फिर परिभाषित कर दिया है . वहां के लोगों की प्यास बुझाने के लिए सरकारी प्रयास नाकाफी साबित हो रहे है. इतिहास में शायद पहली बार ट्रैन द्वारा पानी पहुँचाया जा रहा है . ये किसी को बताने की जरुरत नहीं है की इन सब के लिए कहीं न कहीं हम सब ही दोषी है . लेकिन अच्छी बात ये है की पिछले कुछ वर्षों में जल को लेकर पूरे विश्व के लोग जिस प्रकार से जागरूक हो रहे है उसके पीछे आने वाले दिनों में इसकी उपलबधता में कमी आने के पूरे संकेत है और शायद यही कारण है की आज लोगो के माथे पर जल को लेकर चिंता की रेखाएं उभर रही है. विश्व के कई क्षेत्रों और देशों में जल की कमी की समस्या तेजी से बढ़ रही है . इसीलिए ये भी कहा जाने लगा है की अगला विश्व युद्ध अगर हुआ तो वो जल को लेकर ही होगा . गौर करे तो जल के बगैर किसी देश या राज्य के विकास की बात तो सोची भी नहीं जा सकती . जनसँख्या में वृद्धि के साथ ही साथ पीने के लिए स्वच्छ जल और खेती किसानी के लिए पानी का संकट बढ़ता ही जा रहा है. भारत जैसे गाओं वाले देश में आज भी पानी के लिए लोगों को मीलों जाना पड़ता है . यहाँ की अधिकांश आबादी तक शुद्ध पेयजल नहीं पहुँच सका है . खेती किसानी के लिए ट्यूबवेल और अन्य साधनो से पानी का दोहन हो रहा है जिसके चलते पानी का स्तर नीचे होता जा रहा है . यहाँ पर जल संचयन पर अभी बिलकुल ही ध्यान नहीं दिया जा रहा है. यद्यपि धरती के लगभग 71 प्रतिशत भाग में जल है जो अन्य उपयोगो के लिए तो उपलब्ध है पर पीने के योग्य पानी का हिस्सा बहुत ही कम है . एक रिपोर्ट के अनुसार हर तरफ पानी होने के बावजूद लगभग .5 प्रतिशत ही पीने के लिए योग्य पानी की उपलबधता है .पूरी दुनिया में उपयोगी जल का सबसे बड़ा हिस्सा लगभग 70 प्रतिशत सिंचाई कार्यों में ही खर्च होता है , इसका बीस प्रतिशत इंडस्ट्रियल सेक्टर में और दस प्रतिशत घरेलू कामकाज में इस्तेमाल किया जाता है .
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2025 तक दुनिया की आधी आबादी को पानी की उपलबधता की कठिन समस्या का सामना करना पड़ेगा . इसीलिए हमें अभी से इस समस्या के प्रति सचेत हो जाने की जरुरत है . हमें अपनी आदतों में परिवर्तन लाने की आवश्यकता है . पानी के महत्व पर अमेरिका के एक प्रसिद्ध विज्ञानं लेखक लॉरेन आइजली ने कहा है की हमारी पृथ्वी पर अगर कोई जादू है तो वह जल में है . क्या आप जानते है की हमारे देश के जाने माने कार्टूनिस्ट आबिद सुरति घर घर जाकर नलों को मुफ्त में ठीक करते है जिससे बून्द बून्द टपकते पानी को बचाया जा सके , वे ऐसा करके लोगों को पानी की एक बून्द भी बचाने के लिए प्रेरित करते है. यद्यपि जल संचयन के लिए सरकार सहित अनेक स्वयंसेवी संस्थाएं प्रयासरत है पर जबतक इस विषय को जन आंदोलन के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा तबतक इस समस्या की भयावहता को कम नहीं किया जा सकता . यदि हम थोड़ा सा ध्यान दे तो अपने घरों में उपयोग होने वाले जल की मात्रा को चालीस प्रतिशत तक कम कर सकते है. एक अनुमान के अनुसार हमारे घरों में उपयोग होने वाले जल का लगभग एक तिहाई हिस्सा बाथरूम में चौथाई हिस्सा टॉयलेट में नष्ट होता है , जैसे ब्रश करते समय , शेविंग करते समय , नहाते समय कई बार हम नल खोले रखते है जिससे पानी नष्ट होता रहता है ,पर जरा सा ध्यान देकर हम इसे बचा सकते है .. आपने वो कहावत तो सुनी ही होगी की ” ऊर्जा की बचत ही ऊर्जा का उत्पादन है ” ठीक ऐसे ही ” पानी की बचत ही पानी का उत्पादन है “. क्या आज ही हम संकल्प लेंगे समाज , देश और दुनिया को अपना अप्रतिम योगदान देने के लिए .

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