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किसी भी राष्ट्र या राज्य के विकास के लिए शांति और अहिंसा बहुत बड़ा माध्यम है . यदि राज्य में शांति हो तो सरकारें अपनी योजनाओं और कार्यक्रमों को बड़े ही सहज ढंग से क्रियान्वित कर सकती है . हिंसा और अशांति हमेशा से ही प्रगति में बाधक रही है. भारत के अभिन्न अंग समझे जाने वाले सेवन सिस्टर्स के नाम से भी प्रचलित पूर्वोत्तर राज्यों के विकास की गति को जैसे नगा विद्रोही संगठनो के कारण जंग सी लग गयी थी . केंद्र सरकार द्वारा नगा विद्रोही संगठनो से किया गया समझौता इन राज्यों को देश की मुख्यधारा से जोड़ने का काम करेगी . इन राज्यों की सुंदरता , प्रकृति की अनुपम छटा , यहाँ के अपार प्राकृतिक सम्पदा से पूरा देश अनजान सा था . यहाँ विकास की असीम संभावनाएं है लेकिन आरम्भ की जरुरत थी . सामाजिक न्याय और मजबूत लीडरशिप की कमी से कभी कभी दिग्भ्रमित होकर लोग विद्रोह कर जाते है . लेकिन जब यही विद्रोही भावनाए निराशा में परिवर्तित हो जाती है तो विचारधारा उग्रवादी हो जाती है . ऐसा ही कुछ हुआ था इन पूर्वोत्तर राज्यों कि जनता के साथ विशेषकर युवको के साथ . लेकिन केंद्र सरकार के समझौते की पहल से यहाँ चल रहे लम्बे सशस्त्र जातीय संघर्ष का अंत हो जायेगा , ऐसा प्रतीत होता है . प्रधान मंत्री जी ने ठीक कहा है कि इस समझौते से समस्या का अंत नहीं वरन नए भविष्य की शुरुआत हुआ है . इससे उनके न केवल घाव को भरने और समस्याओं का हल करने का काम होगा बल्कि उनके गौरव और सम्मान की स्थापना में सहयोग भी मिलेगा . वर्तमान स्तिथि में इस समझौते से राज्य सरकारों और पूर्वोत्तर राज्यों की जनता और विद्रोहियों के लिए भी अधिकतम फायदा होगा . इससे वे देश की विकास की मुख्य धारा से तो जुड़ेंगे ही साथ ही राज्य सरकारें जनता के लिए कल्याणकारी योजनाओं के सुरचारु संचालन में समर्थ होंगी . लेकिन अफ़सोस की बात ये है कि इस महत्वपूर्ण समझौते पर भी विपक्षी पार्टियां राजनीती करने से नहीं चूक रही है . कांग्रेस ने तो हद ही कर दी , इस पार्टी ने समझौते के विरोध में पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ मुख्य मंत्रियों को खड़ा कर दिया ये कह कर कि केंद्र सरकार ने उनसे राय नहीं ली और उन्हें सम्मिलित नहीं किया , जबकि यथार्थ के धरातल पर ये झूठ साबित हुआ है . इस समझौते का महत्त्व इसलिए और भी बढ़ जाता है इससे नागालैंड को बेहतर राजनितिक अधिकार भी मिल जाने कि सम्भावना है . यहाँ अब उन संगठनो के साथ भी समझौते का रास्ता बना है जो अभी भी इन क्षेत्रों के जंगली इलाकों में सक्रिय है . इसमें शामिल युवकों में जोश और जूनून है. अपने राज्य के लिए जान तक दे देने का जो जज्बा इनके अंदर है अगर उसे इस समझौते के माध्यम राज्य के हित में , विकास और प्रगति के लिए उपयोग किया जा सके तो यहाँ के समाज में परिवर्तन की गति तीव्र हो सकती है. इसमें कोई संदेह नहीं कि अगर इन राज्यों को प्रगति और विकास कि राह पर सुचारू रूप से लाया गया तो इसका प्रभाव देश के विकास और प्रगति में सकारात्मक रूप में दिखेगा .
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