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आलोचनाओं से दूर रहने की जरुरत

NAV VICHAR
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पिछले कुछ वर्षों में अपने देश की राजनीती का एक महत्वपूर्ण पहलू किसी भी सरकार के अच्छे बुरे कार्यों , योजनाओं का विरोध करना है. खासकर इस एक साल में केंद्र सरकार की अच्छी बुरी सभी योजनाओं , कार्यक्रमों का बस विरोध ही तो हुआ है , वो भी बिना किसी आधार, वास्तविक तथ्यों या आकड़ों के , विरोध सिर्फ शोर शराबा , हो हल्ला के जरिये . अब तो ये शंका होने लगी है कि क्या हमारे अंदर स्वस्थ आलोचना , स्वस्थ आकलन करने कि छमता समाप्त हो गयी है . संसद में रचनात्मक सहयोग और सहमति देने कि बजाय सिर्फ अपनी उपस्थिति दर्ज करने के लिए विरोध करना किसी भी देश या सरकार के लिए स्वस्थ परम्परा नहीं हो सकती . ऐसी स्थिति क्यों है , अगर इस पर विचार किया जाये तो एक बात जो उभर कर सामने आती है कि जब कोई सरकार जोर जबरदस्ती की बजाय जनता के विचार और वैचारिक परिवर्तन से बनती है तो विपक्ष के पास मुद्दों का अभाव हो जाता है . आज अपने देश में परिस्थिति भी कुछ ऐसी है . वर्तमान केंद्र सरकार केवल राजनितिक परिवर्तन के कारन नहीं बानी वरन वो देश की जनता के वैचारिक परिवर्तन के कारन बनी है . सरकार के योजनाओं और कार्यक्रमों की सफलता का बहुत बड़ा पैमाना जनता के बीच उनकी लोकप्रियता है या यूँ कहे की इन योजनाओ से सीधे तौर पर जनता को कितना फायदा हो रहा है . केंद्र सरकार ने अपने एक वर्ष के कार्यकाल में जनता को सीधे जोड़ने वाली कई योजनाओं की शुरुआत की , मसलन जनधन योजना जिसमे देश के प्रत्येक वयस्क का बैंक में खाता खोलने का उद्देश्य था . गैस सब्सिडी सीधे खाते में भेजना , मात्र १२ रुपये में दो लाख का दुर्घटना बीमा और ३३० रुपये में दो लाख का जीवन बीमा , ऐसी ही कई योजनाये है , जिनका सीधा फायदा आम जनता को मिल रहा है या भविष्य में मिलेगा , जिससे जनता का भला होगा , इसमें कोई दो राय नहीं है . अबकी बार इस बात की संतुष्टि तो जनता को है ही की सरकार कुछ तो कर रही है . अपने कई महत्वाकांक्षी योजनाओं को और लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सरकार के पास हौसले और जज्बे की कमी प्रतीत नहीं होती . हालाँकि उसे मूर्त रूप देने में उन्हें कई बड़े चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है . देश की जनता को “मेक इन इंडिया ” के माध्यम से देश के विकास की सबसे बड़ी उम्मीद है . देश के युवाओं , किसानो और वृद्धों के लिए इस सरकार ने उम्मीद के दीपक जलाएं है . सरकार की भविष्य की राह आसान नहीं है . लेकिन फिर भी उम्मीद है तभी जिंदगी है . अपनी अच्छी सोच और योजनाओं के बल पर ये सरकार देश की जनता को अच्छे दिन का सपना दिखा ही नहीं रही वरन उसे पूरा करने की दिशा में गंभीर प्रयास भी कर रही है . लेकिन इतना होते हुए भी विपक्ष को अपनी भूमिका को भली भांति समझना होगा और बेवजह के मसलो को भूल कर सकरात्मक भूमिका निभानी होगी .

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