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उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार आते ही पार्टी के कार्यकर्ता बेलगाम हो जाते है , इसका उदहारण , घटनाएं बार बार हम सब के नज़र होती रहती है . पूरे प्रदेश में अराजकता का माहौल बना ही रहता है . ऐसा नहीं कि पार्टी सुप्रीमो और मुख्यमंत्री इससे बेखबर हो . इस बात कि पुष्टि इस बात से भी होती रहती है कि इन नेताओं की सभाओं में भी कार्यकर्ताओं की उद्दंडता से बार बार इन्हे दो चार होना पड़ता है और ये उसी मंच से इन्हे अनुसाशन का पाठ पढ़ाते रहते है . लेकिन सत्ता का नशा समाजवादी पार्टी के नेताओं में कम उनके समर्थको और कार्यकर्ताओं में बहुत ज्यादा दिखती है . लेकिन हद तो तब है जब आम जनता के साथ प्रशासन और पुलिस भी इनकी उद्दंडता और बदसलूकी का शिकार हो रही है .
फर्रुखाबाद में पुलिस अधिकारी और पुलिस कर्मियों पर सपा नेताओं के हमले की घटना अभी पूरी तरह शांत भी नहीं हुई थी कि प्रदेश की राजधानी में ट्रैफिक दरोगा और सिपाही को एक नेता कि दबंगई का शिकार होना पड़ा . वहीँ दूसरी तरफ मेरठ में एक बड़े व्यवसायी से करोडो की रंगदारी मांगने का आरोप भी सपा नेता पर लग रहा है . पहले भी इस तरह की सैकड़ों घटनाएं होती रही है . आखिर ये निरंकुश राजनीति का एक हिस्सा ही है . जबकि सपा सुप्रीमो और मुख्यमंत्री हमेशा ही अपराध और अपराधियों के खिलाफ होने की बात करते है और पार्टी कार्यकर्ताओं को सयंमित रहने की अपील करते है पर लगता है उनकी इस सीख का उन पर कोई प्रभाव नहीं होता , तभी तो बार बार ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्त होती रहती है .
वास्तव में किसी भी पार्टी में शीर्ष नेताओं के व्यवहार और आचरण का उस पार्टी के कार्यकर्ताओं पर प्रभाव पड़ता है , लेकिन समाजवादी पार्टी के उच्च नेताओं में कही न कही अनुशासन, संयम और धैर्य का अभाव रहा है, यही झलक पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थको में भी देखी जा रही है . ऊपरी सतह पर जब अनुशासन होता है तो निचली सतह अपने आप अनुशासित हो जाती है .
बार बार ऐसी घटनाएं सपा सरकार के साथ साथ पार्टी के कुछेक सुधी और सज्जन नेताओं की छवि को भी धूमिल करने के लिए काफी है . प्रदेश सरकार को और उनके वरिष्ठ नेताओं को अपने कार्यकर्ताओं को संयमित रहने और सजग रहने की नसीहत देने की सख्त जरुरत है प्रदेश में अराजकता का माहौल समाप्त हो और पुलिस , प्रशासन के साथ साथ जनता भी शांति से रह सके .
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