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अपने देश में इन दिनों विवादित बयान देने वालों की जैसे बाढ़ सी आ गयी है। एक विवाद थमते ही दूसरा पैदा हो जाता है। लगता है जैसे विवादित और अमर्यादित बयानों की ये श्रंखला टूटेगी ही नहीं। यूँ तो अपने देश में राजनैतिक दलों और नेताओं के बीच हमेशा ही आरोप प्रत्यारोप का दौर चलता रहता है । यद्यपि स्वस्थ राजनितिक परंपरा के लिए सकारात्मक और रचनात्मक आलोचना अच्छी होती है पर इस बहाने ओछी और निकृष्ट भाषा का प्रयोग कर सस्ती लोकप्रियता बटोरना अच्छा नहीं होता।
यदि ध्यान दे तो ऐसा लगता है की कुछ नेताओं ने तो जैसे अमर्यादित और विवादित बयान देने का पेटेंट अपने नाम करवा लिया है । अभी कुछ ही दिनों पहले जदयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव जी ने भाजपा के एक महिला मंत्री के विषय में आपत्तिजनक बयान दिया था , कई दिनों तक हो हल्ला हुआ और धीरे धीरे मामला शांत हुआ। और अब भाजपा के कद्दावर और बड़बोले नेता समझे जाने वाले गिरिराज सिंह ने सोनिया गांधी के विषय में अशिष्ट और अमर्यादित स्टेटमेंट दे डाला। बिना सोचे विचार की उनकी बात या स्टेटमेंट का देश की जनता पर क्या असर होगा। उनके साथ यह पहली बार नहीं हुआ है , इसके पहले भी उनके इस बड़बोलेपन की आदत ने प्रधानमंत्री सहित भाजपा को असहज स्तिथि में डाल दिया था। और तो और गिरिराज सिंह के इस बयान के विरोध में राजबब्बर जैसे कांग्रेसी नेता ने तो उन्हें पागल ही करार दिया और उनके इलाज़ पर आने वाले खर्च की जिम्मेदारी भी ले ली , उधर लालू जी भी कहाँ पीछे रहने वाले थे उन्होंने ने खूब अच्छे से अपने दिल की बढास निकाल डाली ये कहकर कि “गिरिराज को सिंदूर,बिंदी और चूड़ियाँ पहननी चाहिए “. इन नेताओं के इस तरह के बयान देश की राजनीती को कहाँ ले जाएगी , ये देश की जनता के समझ से परे है। शायद ये उनकी सुर्ख़ियों में रहने की चाहत की वजह से भी हो। ।
जनता इन्हे जिन जिम्मेदारियों के लिए चुन कर भेजती है , उससे इतर ये नेता ऐसे कामो में व्यस्त रहते है जिससे समाज और देश का कोई भला नहीं होता। अब ये इन जैसो का बड़बोलापन ही कहा जायेगा जो इनकी रीति और नीति सबसे जुदा है और समाज और देश जोड़ने की बजाय तोड़ने वाली है। कुछ नेता तो कभी कभी पद कि गरिमा और मर्यादा को भी तार तार कर देते है। आये दिन अखबारों एवं टी वी चैनलों पर ऐसे विवादित बयानो से हम सब को दो चार होना पड़ता है।
ऐसे विवादित और अमर्यादित बयानों पर रोक लगाने के लिए देश के कानूनविदों , बुद्धजीवियों ,विधि आयोग समेत सभी दलों को इस बात पर गम्भीरता से चिंतन करने कि आवश्यकता है . वर्ना ऐसे बयानों की अटूट श्रंखला यूँ ही चलती रहेगी और इससे उपजे तू तू मै मै से देश का विकास तो अवरुद्ध होगा ही , पूरे विश्व में देश के छवि भी धूमिल होती रहेगी।
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