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अपने देश में हावी है “विरोध” की राजनीति

NAV VICHAR
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अपने देश की राजनीति का एक महत्वपूर्ण पहलू है “विरोध” . सत्ता पक्ष का काम अच्छा हो या बुरा ,इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता। सत्ताधारी पार्टी की योजना जनहित में हो , उनकी सोच सकारात्मक हो , इससे विपक्षी पार्टी को क्या , उसे तो उसका विरोध ही करना है। ये अपने भारत की बहुत बड़ी कमजोरी रही है। पिछले कुछ दिनों में सरकार ने निश्चित रूप से देश के कल्याण के लिए , जनता के हित में अनेक कार्यक्रमों और योजनाओं को लागू करने की घोषणा की। लेकिन कांग्रेस सहित विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध ही किया है . कुछ विषयों पर तो कांग्रेस ने अपने एक दो ऐसे नेताओं को हाशिये पर खड़ा कर दिया जिन्होंने ने उनका समर्थन करने की कोशिश की। ये विपक्षी पार्टी की हताशा और निराशा को ही दर्शाता है। ये कांग्रेस पार्टी की संकीर्ण सोच और मानसिकता ही है कि वह सरकार के स्वछता अभियान का समर्थन नहीं कर पा रही। पार्टी ने अपनी कट्टर विरोधी सोच के साथ ये भी प्रकट कर दिया की उनकी पार्टी में लोकतान्त्रिक विचार वाले लोगों की बहुत कमी है।
अगर कांग्रेस को ऐसा लगता है की स्वक्छ्ता का अभियान कोई नया नहीं है तो वर्षों तक शासन करने के बाद भी उन्हें इस बात की याद क्यों नहीं आई की भारत देश स्वच्छ होना चाहिए। अगर कोई नेता , या पार्टी नवीन विचारों के साथ , रचनात्मक सोच के साथ देश में परिवर्तन लाने का प्रयास कर रहा है तो यदि आप समर्थन नहीं कर सकते तो विरोध भी तो न करें।
भूमि अधिग्रहण से सम्बंधित बिल को लेकर संसद न चलने देना , विपक्षी पार्टियों की हताशा का एक और नमूना है . सीधी सी बात है की जब केंद्र सरकार उन्हें खुला ऑफर दे रही है की भाई आप इस बिल से सम्बंधित जो भी विचार या संशोधन कराना चाहते है वो बताएं तो इसमें हर्ज ही क्या था . समझ से परे है की केवल विरोध करने के लिए विरोध करना . इसी बात पर वे संसद से राष्ट्रपति भवन तक पद यात्रा कर गए , इसके पीछे तो कारण बस यही लगा की वे देश की जनता के बीच अपनी उपस्तिथि दर्ज करना चाहते थे . इतना ही नहीं कुछ विपक्षी नेताओं ने बिल की अच्छाइयों और बुराइयों को बिना भली भांति जाने समझे अनर्गल बयां दे दे कर , जनता के मन में भ्रम भी पैदा कर दिया .
अब तो ऐसा लगता है की इन पार्टियों के पास कोई मजबूत मुद्दा ही नहीं है जिस पर ये सत्ताधारी पार्टी और सरकार का विरोध कर सके . तभी तो राहुल गांधी के सुरक्षा की जांच से सम्बंधित आधारहीन और खोखले मुद्दे को संसद में उठाकर संसद का समय बर्बाद कर डाला .
वास्तव में किसी भी देश में विपक्ष की सकारात्मक भूमिका देश की प्रगति और विकास के लिए सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों को गति प्रदान करता है , उसे जनता के लिए और भी बेहतर बनाता है , पर अपने देश में विपक्षी पार्टियों में ऐसे रचनात्मक और सकारात्मक सोच का सर्वथा अभाव रहा है . पर उन्हें इस दिशा में गंभीरता से विचार करना चाहिए .

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