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नए साल पर भी हमारा पडोसी मुल्क पाकिस्तान जैसे नींद में ही सोया हुआ है। सीमा पर लगातार हो रही गोली बारी इस बात का प्रतीक है कि उसकी नीति और रीति क्या है। लगता यही है की सरकार को उसे उसी की भाषा में समझाने की जरुरत है। पिछले दिनों पेशावर में हुई जघन्य हत्याओं के पीछे चाहे जो भी कारण रहा हो। लेकिन उसके बाद पाकिस्तान का घड़ियाली आंसू बहाना और दो दिन के अंदर ही भारत के मोस्ट वांटेड आतंकवादी लखवी को पाकिस्तानी कोर्ट से जमानत मिल जाना , ये सब दर्शाता है की पाकिस्तान आतंकवाद के मसले पर कितना संजीदा है। एक और मोस्ट वांटेड आतंकवादी पाकिस्तान में खुलेआम जलसा करता है और वहां की सरकार उसे जलसा करने की बाकायदा परमिशन देती है और तो और भारत के खिलाफ कुछ भी बोलने की उसे पूरी छूट मिली हुई है। क्या पूरा विश्व ये सब देख नहीं रहा। बच्चो की निर्मम हत्या के बाद ये लगा था कि शायद अब पाकिस्तान की आँख खुलेगी और वो नींद से जागेगा लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। ये सब देखकर तो यही लगता है कि आज भी पाकिस्तान दोहरी चाल चल रहा है ,शायद उसे यह भी एहसास नहीं की उसकी चाल उसी के लिए नुकसानदायक सिद्ध हो रही है। कभी कभी तो ऐसा भी लगता है की वहां की सरकार पर आतंकवादियों का गहरा प्रभाव है जिसके दबाव के कारण वे कुछ भी ठीक कर पाने में असमर्थ है। ऐसा भी महसूस होता है की पाकिस्तानी सरकार और प्रधानमंत्री वो ही बोलते और करते है जो वहां के आतंकवादी संगठन चाहते है। भारतीय सीमाओ पर लगातार गोली बारी जारी है. लगता है मानो उनका युद्ध अभ्यास भारतीय सीमा पर ही होता है।
कभी कभी तो ऐसा लगता है कि उनकी अपनी इतनी घरेलु समस्याएं है जिनसे वहां की जनता का ध्यान भटकाने के लिए भी वे भारतीय सीमा पर अस्थिरता पैदा किये रहते है। दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी को मिली हार का जश्न मनाना , इस बात का संकेत है कि वे वर्तमान केंद्र सरकार से कुछ हद तक डरे है , भारत में अमेरिकी राष्ट्रपति आगमन भी उन्हें असहज करने वाला था , शायद इन्ही दबाओं के कारण उन्होंने हाफिज के संगठन पर प्रतिबन्ध लगाने का निर्णय लिया है।
कुल मिलाकर वहां के हालात के लिए यही बात सही लगती है की उन्होंने पूर्व में जो बोया है, उसका परिणाम उन्हें ही तो भुगतना पड़ेगा।
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