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आई सी सी विश्व कप शुरू होने में बस अब कुछ ही दिन रह गए है। भारतीय टीम की जीत को लेकर अबकी बार देश के क्रिकेट प्रेमी बहुत ही उहापोह की स्तिथि में है। एक तो चोट से पीड़ित कुछ बेहतर खिलाडी चिंता का विषय है वहीँ दूसरी तरफ टीम में ओपनिंग जोड़ी को लेकर भी समस्या दिख रही है। कुल मिलाकर भारतीय टीम के ख़िताब जीतने की संभावना बहुत ही कम दिख रही है. ऑस्ट्रेलया के पूरे दौरे पर टीम बहुत ही दबाव में खेल रही थी , जबकि उसे आक्रामक प्रदर्शन करना चाहिए था। 2011 की अपेक्षा टीम में युवा टैलेंट है पर अनुभव का अभाव है. ऑस्ट्रेलिया में संपन्न हुए त्रिकोणीय सीरीज में भी भारत कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर सका. जबकि उसकी क्षमता उससे कहीं बेहतर करने की है। बस कुछ कमियों पर काम करने की जरुरत भारतीय खिलाड़िओं को है। उनकी निरंतरता प्रभावित हुई लगती है। वे खेल में अपना सौ प्रतिशत नहीं दे पा रहे , शीर्ष क्रम में भी टीम का संयोजन सही साबित नहीं हो रहा है। भारत की गेंदबाजी भी चिंता का कारण है। यदि गेंदबाजों ने अच्छा प्रदर्शन करना आरम्भ कर दिया तो भारत का फाइनल तक का सफर आसान हो सकता है। निःसंदेह हम चैंपियन है , लेकिन ख़िताब बचाने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। टीम को शुरुआत से ही अच्छा प्रदर्शन करना होगा। भारतीय टीम सर्वश्रेष्ठ तभी खेलती है जब आक्रामक होती है।
एक अच्छी बात ये है की भारतीय खिलाड़िओं को विश्व कप के पहले लगभग दो हफ्तों का आराम मिला है , जो निश्चित रूप से उन्हें पुराने हार को भुलाकर मानसिक एवं शारीरिक रूप से मजबूत बनाएगा। उनके अंदर नयी स्फूर्ति और उत्साह का संचार करेगा।
वैसे एक सच और भी है कि भारत पहले भी लगातार ख़राब प्रदर्शन करते रहने के बावजूद बस एक जीत मिलते ही पूरी तरह लय में लौट आया है और उसने न सिर्फ बेहतर प्रदर्शन किया है वरन टूर्नामेंट का विजेता भी बना है। विश्व कप मैचों के पहले भारत को कुछ प्रैक्टिस मैच भी खेलने है जिससे उन्हें खुद को जानने और समझने का मौका मिलेगा।
आइये , हम सब क्रिकेट प्रेमी “विश ” करें की भारतीय टीम एक बार फिर पूरे दम ख़म के साथ मैदान में उतरेगी और अपनी एकजुटता , आक्रामकता और टैलेंट के बल पर विरोधी टीमों को मैच दर मैच परास्त करके अपना ख़िताब अपने पास ही रखेगी।
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