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यदि विचार किया जाए तो साधारणतया व्यवस्थित ढंग से, सकारात्मक विचार से किया गया कार्य या व्यवहार अच्छा परिणाम देता है . लेकिन आवेश में आकर या उत्तेजना दिखाकर या निराश मन से किया जाने वाला कार्य पूरा तो हो जाता है , लेकिन समय असमय उससे अनेक हानिया भी हो जाती हैं. यद्यपि इसमें परिश्रम और शक्ति भरपूर लगती है . प्रायः ऐसी स्थति हमारे जीवन में आ जाती है.
कुछ लोग सामर्थ्य और उसके सदुपयोग को एक साथ जोड़ देते है . लेकिन यह आवश्यक नहीं है की जिस आदमी के पास सामर्थ्य है वह उसका सदुपयोग ही करेगा . सामर्थ्य कई बार परिस्थितियों से भी पैदा हो जाता है किन्तु उसके सदुपयोग में मनुष्य की व्यक्तिगत सोच ही केवल काम आती है . किसी मनुष्य के पास यदि कम ही साधन या सामर्थ्य हो लेकिन यदि वह सही ढंग से उसका उपयोग करता है तो सफलता उसके कदम चूमेगी. इसलिए सामर्थ्य या शक्ति का परिचय क्रोध या उत्तेजना से नहीं दिया जाना चाहिए वरन सामर्थ्य का उपयोग लोगो को लाभ पहुचाने के लिए किया जाना चाहिए.
जीवन में हम किसी भी तरह की स्थिति में रहें, हमें विश्वास करने में पीछे नहीं रहना चाहिए। विजेता हमेशा अपनी जीत के प्रति आशान्वित रहते हैं। इसका उल्टा भी सच है कि आशावान एवं मुस्कुराने वाले ही साधारणतया विजेता होते हैं। इसलिए हमेशा चेहरा हंसमुख रखें।
एक सर्वेक्षण के अनुसार 25 वर्ष के आशावान लोग 45 और 60 की उम्र में भी स्वस्थ रहते हैं। आशावान लोग निराशावादियों की अपेक्षा अच्छा प्रदर्शन करते हैं।
यह सर्वेक्षण यह भी बताता है कि निराशावादियों की तरह आशावादी जल्दी हार नहीं मानते हैं और फलत: उनकी सफलता की संभावना ज्यादा होती है। उनमें सहनशक्ति भी ज्यादा होती है। जिन लोगों ने अपने जीवन में सफलता हासिल की उनसे सबक लेने में हमें झिझक नहीं होनी चाहिए।सफलता बड़ा ही परिश्रम और धैर्य चाहती है मगर उसका परिणाम कीमत चुकाने लायक होता है । जीवन का एक पहलू यह भी है कि परिस्थिति एवं परेशानियां चाहे जो भी हों आपका चरित्र, समर्पण एवं सोच आपकी सफलता के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है।
एक सकारात्मक एवं आशावान व्यक्ति दूसरों के लिए सदैव ही प्रेरणादायी होता है , वह अपनी सफलताओं से एक उदाहरण स्थापित करता है। अतः आवश्यक है की हम अपने जीवन में सकारात्मक रहे, आशावादी रहे और विषम परिस्थितियों में भी धैर्य न खोयें।
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