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भारत जैसे विशाल देश में सड़क के नियमो, कायदे , कानूनो की प्रभावशीलता के लिए निश्चय ही ये चुनौती की बात है की विश्व के विकसित देशो की तुलना में अपने देश में लगभग तीन गुना ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं होती है। एक अध्ययन के अनुसार पूरे विश्व में सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों का 10 प्रतिशत अकेले भारत में मौते होती है।
इसका सीधा मतलब है की हमारे यहाँ सड़क पे चलने के नियमो के प्रति जागरूकता की कितनी कमी है। शायद आपको जानकर आश्चर्य हो की दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले अपने देश में प्रतिवर्ष लगभग सवा लाख लोग सड़क पर हुए दुर्घटनाओं में असमय मौत के मुह में समां जाते है। ये आकड़ें तो उनके है जिन्हे कहीं रिकार्ड किया गया है , हजारों की संख्या तो उनकी होगी जो की दूर दराज के गांव दुर्घटना के शिकार हुए होंगे लेकिन उनकी गिनती इन अध्ययनों में शामिल नहीं है ।
यदि हम इसके पीछे के कारणों की खोजबीन करना चाहे तो कारण बहुत कुछ हमारी लापरवाही पर निर्भर करता है। नियम तो थोड़ा बहुत सब जानते है पर उनका पालन करने में कोताही बरतते है। बहुत छोटी छोटी बाते है जिनपर ध्यान देने की जरुरत है , मसलन सदैव अपनी बाई ओर वाहन चलायें , पैदल चलते समय फूटपाथ उपयोग करें , ग्रीन सिंग्नल पर ही अपना वाहन आगे बढ़ाएं , गलत दिशा से कभी भी ओवरटेक न करें , वाहन चलाते समय मोबाइल पे कभी भी बात न करें , पैदल चलने पर सड़क पार करते समय दोनों तरफ देखकर ही पार करें , यू टर्न लेते समय इंडिकेटर का प्रयोग करें , वन वे में कभी भी उलटी दिशा से वाहन चलाने की कोशिश न करें , वाहन सदैव ही निर्धारित गति से चलायें , रात में वाहन में डीपर का प्रयोग करें। यही सब छोटी छोटी बातें है जिनपर ध्यान देकर हम दुर्घटनाओं को रोक सकते है।
इसके अलावा हमें बच्चों को आरम्भ से ही सड़क पर चलने के नियमो से परिचित करते रहना चाहिए , इसके लिए आवश्यक है की पहले हम स्वयं सुरक्षित रहते हुए चलना सीखे। होता ये है की हम केवल सड़क सुरक्षा सप्ताह या माह मनाकर अपनी जिम्मेदारियों की इतश्री कर लेते है , उसे व्यवहारिक धरातल पर नहीं उतारते।
निश्चय ही यदि हम इन बातों पर ध्यान देते है तो सड़क दुर्घटनाओ पर लगाम लगाया जा सकता है और आकड़ों के अनुसार , अपने देश में लगभग प्रत्येक 6 मिनट में सड़क दुर्घटना में मरने वाले व्यक्ति को बचाया जा सकता है।
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