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देश के वर्तमान वातावरण में ये बहुत आवश्यक प्रतीत हो रहा है कि देश का चौथा स्तम्भ कहे जाने वाला मीडिया अपनी सकारात्मक भूमिका निभाये क्योंकि आये दिन देश के कुछ नेता देश की सदभावना, एकता और अखंडता को नुक्सान पहुचाने वाले वक्तव्य दे रहे है जिन्हे तमाम टी वी चैनल्स प्राथमिकता से दिखा रहे है। वास्तव में ये नेता देश की भोली भाली जनता का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास कर रहे है और इसी उद्देश्य से वे ऐसे स्टेटमेंट देते है जिससे देश में ईर्ष्या , द्वेष की भावना पनप रही है। इससे न केवल देश में वरन विदेशों में भारत की छवि धूमिल हो रही है। मीडिया को अपनी “टी आर पी” की चिंता किये बगैर ऐसे नेताओं की बातें , उनके विचार को कोई महत्व नहीं देना चाहिए। वरन मीडिया को ऐसे समाचारों , घटनाओ को प्रमुखता से दिखाना चाहिए जिसमे देश की सांस्कृतिक परम्परा , विकास और समृद्धि को मजबूती मिले। अगर गौर किया जाये तो हमारे देश में रोज ही हजारों ऐसी घटनाएँ घटती है जिन्हे दिखाकर टी वी चैनल्स अपनी “टी आर पी” बढ़ा सकते है। वैसे भी कहा जाता है की मीडिया की ताकत का कोई भी मुकाबला नहीं है। उम्मीद यही की जानी चाहिए की मीडिया अपनी उस ताकत को पहचानकर अपनी सकारात्मक भूमिका निभाए।
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